Monday 24 September 2018

Film- secret superstar

मेरे बी.ए. के पाठ्यक्रम में हेनरी इब्सन का बहुत प्रसिद्द नाटक "A doll's house" था, जिसके अंत में उसकी प्रमुख पात्र "नोरा" अपने पति के घर को छोड़ देती है और बाहर जाते समय दरवाज़े को जोर से बंद करते हुए चली जाती है। 1870 में यह नाटक डेनमार्क में मंचित हुआ था और उस समय इसे महिला सशक्तिकरण विषय पर एक क्रांतिकारी हस्तक्षेप माना गया था। यह दुर्भाग्य ही है कि लगभग 150 साल गुजर जाने के बाद भी लाखों - करोड़ों महिलाओं के लिए आज भी यह नाटक प्रासंगिक है।
कल रिलीज़ हुई आमिर खान की फ़िल्म secret superstar बहुत बारीक़ी से कई विषयों को छूती है। फ़िल्म की एक प्रमुख पात्र जब अपने पति के हाथ में तलाक़ के कागज़ रख देती है, तो वह इब्सन की नोरा ही नज़र आती है। और फ़िल्म के अंत में जब इसकी 15 वर्षीय मुख्य पात्र अपने बुरखे को उतार फेंकती है, तो उसका सन्देश बहुत गहरा और स्पष्ट है।
जानता हूँ कि सिर्फ बुरखा उतार फेकना ही क्रांति नहीं है, लेकिन फिर भी ये एक बड़ा प्रतीक है। महिलाओं , विशेषकर मुस्लिम महिलाओं का पुरुष नियंत्रित जीवन किसी से छुपा नहीं है, ऐसे में आमिर खान ने बेहद साहस के साथ उस बात को सिनेमा की भाषा में कहा है जिसे लोग कहने और लिखने से बचते हैं। धर्म, परंपरा, मर्यादा, लज़्ज़ा नामक बेड़ियां प्रायः महिला के पैरों में ही दिखाई देती है। यह फ़िल्म हमें जहाँ एक ओर ये बताती है कि उन बेडियों को कैसे तोडना है, वही दूसरी ओर यह भी बताती है कि भविष्य के बच्चे कैसे होंगे।
सभी सिनेप्रेमी मित्र आमिर खान की इस फ़िल्म को जरूर देखें, और वे भी देखें जो आमिर के कुछ अलग कारणों से आलोचक रहे हैं।

Oct. 2017

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