Monday 24 September 2018

जलाशयों में विसर्जित की जाने वाली प्रतिमाएं

सौभाग्य से पूरे देश भर में इस वर्ष अच्छी बारिश हो गयी है। ग्वालियर जैसा अल्पवृष्टि वाला इलाका भी हरियाली की चादर ओढ़े हुए है। नदी-तालाब-बांध-पोखर भरे हुए हैं।
अब त्योहारों का मौसम आ गया है। यहीं से मेरी चिंता शुरू होती है। जगह-जगह पी ओ पी से बने गणेश जी बिक रहे हैं। प्रशासन की चेतावनी के बावजूद पी ओ पी के गणेश जी बन और बिक रहे हैं। कुछ ही दिनों में ये सारी प्रतिमाएं आस-पास के सभी जलाशयों में विसर्जित कर दी जाएंगी। पूरी बेशर्मी से हम जलाशयों को तबाह करके आएंगे। जो थोड़ी कसर बचेगी, वो अगले माह "माता जी" की प्रतिमाएं पूरी कर देंगी।
भस्मासुर बने इंसान को कौन समझा सकता है भला? वैसे भी मामला इन दिनों संख्याबल से तय होता है। दो-चार अर्बन नक्सली टाइप बुद्धिजीवी कितना भी चीख लें, इन जलाशयों में विसर्जित की जाने वाली प्रतिमाएं हर वर्ष बढ़ती ही जा रही हैं।
जब तक थक नहीं जाता, हर साल इस कुप्रथा की आलोचना करता रहूँगा। आप लोग भी हर साल की तरह मेरे विधर्मी और नास्तिक होने की आलोचना कर सकते हैं।

- सि‍तंबर 2018

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