Monday 24 September 2018

गाली और ब्लड प्रेशर

बचपन से ही ये दंतकथाये सुनता आया हूँ कि
एकबार किसी ने गौतम बुद्ध को गाली बक दी तो उन्होंने बड़ी विनम्रता से यह उत्तर दिया कि मैं आपकी दी हुई चीज स्वीकार नही कर सकता अतः इसे आप ही रखें।
गाँधी जी के अहिंसा दर्शन के बारे में तो सुप्रचलित है कि यदि कोई आपके गाल पे झापड रसीद कर दे तो आप उसकी ओर दूसरा गाल भी कर दें।
इन दोनों बातों को सिर्फ कहानी की तरह सुना पर कभी पालन न कर सका। छात्र जीवन और उसके बाद के जीवन में ऐसे कई प्रसंग आये कि किसी ने गाली बकी तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया बेहतरीन बुंदेलखंडी गालियों से...
यह भी बताता चलूं कि मुझे बालपन में गाली देने का अधिकार प्राप्त नहीं था। विधिवत रूप से उत्तम कोटि की गालियाँ कक्षा 09 के बाद देनी शुरू कीं थी। आज भी कभीकभार गालियां देता हूँ, पर शुरुआत नहीं करता। ज्यादातर गालियां कार चलाते समय ही उपजती हैं। भारत की सड़कों पर बिना गाली दिए आप वाहन चला ही नहीं सकते। पत्नी का कहना है कि गाली देकर क्यों अपनी जुबान गंदी करते हो और ब्लडप्रेशर बढ़ाते हो?
पर मुझे लगता रहा कि गाली देकर मेरा ग़ुबार निकल जाता है और ब्लड प्रेशर सामान्य हो जाता है।
उसके बाद -
फेसबुक पर आ गया और उसका ये एहसान रहेगा कि गाली और धमकी झेलने का खूब अभ्यास हो गया है। कभी-कभी तो हंसी भी आती है सामने वाले पर। सच में बुद्ध और गाँधी बहुत समझदार थे....

- जून 2018

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