Monday 24 September 2018

करवाचौथ की मुबारकवाद

इधर कुछ दिनों से एक बात बार-बार महसूस हो रही है कि फेसबुक पर लिखने का कोई लाभ नहीं है। हम समय के उस दौर में आ पहुंचे हैं, जहाँ हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा अपने आप को जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर समझ बैठा है। आप चाहे जितनी तथ्यात्मक या तार्किक बात लिखो, उन्हें आपकी बात फूटी आँख नहीं सुहाती।
यहाँ तक कि उनकी नज़रों में आपकी निजी मान्यताओं और विचार प्रक्रिया का भी कोई स्थान नहीं है। ज्यादा साफ़-साफ़ लिखने की कोशिश करो तो तत्काल समाज विरोधी, धर्म विरोधी और राष्ट्र विरोधी होने का तमगा तैयार है
पिछले साल तक मैं करवाचौथ जैसे नितांत मर्दवादी त्यौहार के खिलाफ आराम से लिखा करता था। मेरी नज़र में ये त्यौहार स्त्री को हीन और पुरुष को देवता के पद पर ला बैठाता है। पर इस वर्ष मैं ऐसी कोई देशद्रोही टाइप बात नहीं लिखूंगा।
तो भारत देश की समस्त नारियों को करवाचौथ की मुबारकवाद। दिन भर भूखी रहो पर घर भर के लिए पकवान बनाओ। घर की साफ़ सफाई भी रोज़ की तुलना में ज्यादा करो। दोपहर तक काम निपट जाए तो घर के आँगन या दरवाज़े पर रंगोली बनाओ। शाम से ही सजना शुरू कर दो ताकि पूजा के समय तक रात का खाना भी बन जाए। उसके बाद करवाचौथ की महान संस्कारी कथा सुनो। ऐसी कथाओं में ही तो हमारी संस्कृति का सार छुपा है। रात को चाँद के निकलने पर ही जल ग्रहण करना। चाहो तो करण जौहर की फिल्मों से आईडिया ले सकती हो। पूजा निपटा कर बैडरूम में टीवी का रिमोट हाथ में लेकर पसरे हुए पति परमेश्वर के पैर छू लो। आखिर तुम्हारा सब कुछ इन्हीं चरणों में ही तो है।


 Sep. 2017

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