Monday 24 September 2018

धार्मिक अनुष्ठान और लाउडस्पीकर

डिस्क्लेमर :- यह पोस्ट सच्ची घटना पर आधारित है। हमारे नकचढ़े समाज मे किसी की भावनाएं आहत न हों, इसलिए इस पोस्ट में दिखाई गयी जगह, पात्र, और मज़हब बदल दिया गया है। सो जानवी!

हुआ ये कि मेरे शहर में एक नगर के आधे संभ्रांत व्यक्ति पूरे सभ्रांत बनने के प्रयास में अपने घर में एक धार्मिक अनुष्ठान जैसे - सुंदर कांड, भक्तांबर, भागवत, (मुस्लिम क्या करते हैं पता नही, पर उनके यहां से भी कुछ आवाज़े आती हैं ज़ोर-ज़ोर से...... जैसे व्यक्तियों का समूह युद्ध पर जा रहा हो)।
यह धार्मिक ज्ञान अन्य लोगों के कानों में ठूस दिया जाए और उन्हें भी निशुल्क पुण्य लाभ हो, इस हेतु लाउड स्पीकर का भी इंतेज़ाम था। जाड़े की रात में लाउड स्पीकर अपने फटे गले से माहौल को और कर्कश बना रहा था।
एक नौजवान जो बड़ी मुश्किल से फेसबुक और व्हाट्सअप त्यागकर पढ़ने बैठा था। कहते हैं उसपर वामपंथियों का ऊपरी साया था। बहुत देर इस कर्कश ध्वनि को झेल चुकने के बाद अंततः उसने फिर से लैपटॉप उठाया और नए बने मुख्यमंत्री को ट्वीट करके शिकायत चेप दी। हालांकि उसे पता था कि जब तक कोई ट्वीट पर ध्यान देकर कार्रवाई करेगा, तब तक पूरा पुण्य लाउड स्पीकर के माध्यम से समस्त धर्मप्रेमी बंधुओ तक पहुंचाया जा चुका होगा। वह सो गया।

पर पता नहीं किस ईश्वरीय प्रकोप से मुख्यमंत्री जी ने उस ट्वीट को पढ़कर स्थानीय थाने को निर्देश दे दिए और थाने से लाउडस्पीकर बंद कराने गए धर्मप्रेमी हवलदारों ने उस नास्तिक और विधर्मी का नाम बता दिया।
सुना है सुबह से नगर के कुछ पूरे सभ्रांत व्यक्ति उस बालक के घर पहुंच कर उसे जबरदस्ती असली वाला पुण्य बांटने को लालायित है ताकि भविष्य में वह भी धर्म के काम आ सके।


फरवरी 2018

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