Monday 24 September 2018

प्रश्न और निंदा से भागना दरअसल उपनिषद के ज्ञान से विमुख होना है।

इसमें किस मूर्ख को संदेह होगा कि भारत का भूतकाल ज्ञान , विज्ञान और जीवन के हर क्षेत्र में सर्वोपरि रहा है। अगर मैं भारत के प्राचीन वैभव पर बोलू तो 01 घंटा कम पड़ जाए। ऐसी महान उदात्त संस्कृति दुनिया मे कहीं नही थी। जो समकालीन संस्कृतियां थी भी, तो वे भी भारत से निरंतर सीखती रहीं।
यहाँ तक तो ठीक है। अब वर्तमान दुर्दशा को देख वामपंथी (बेहतर होगा प्रगतिशील) अगर इन बातों पर प्रश्न पूछते हैं तो क्या गलत करते हैं? आखिर निंदक नियरे राखिये भी तो हमारी संस्कृति में ही था -
1. जिस हिंदुत्व को सनातन संस्कृति का वाहक बताया जाता है, वह अपनी मूल पूजोपासना पद्यति से इतनी दूर कैसे खिसक गया?
2. प्रकृति पूजक/ यज्ञ उपासक समाज कैसे मूर्ति पूजक हो गया और लगभग हर जल स्रोत को प्रतिमा विसर्जन से तबाह करने का जिम्मेदार है?
3. पूर्व वैदिक और वैदिक कालीन नारी स्वतंत्रता (स्वयंबर प्रथा/ गन्दर्भ विवाह) आखिर कैसे खाप पंचायत तक आ पहुंची?
4. विश्व वन्धुत्व का नारा साम्प्रदायिक नफरत में कैसे बदल गया?
5. सत्यमेव जयते से फेक न्यूज़ तक की उड़ान किस तरह सामने आई?
6. आनो भद्रा कृत्वो यन्तु विश्वतः आखिर क्यों पश्चिमी ज्ञान और वामियों के तर्क से भयभीत है?
7. जीव कल्याण और कण कण में भगवान देखने वाला मुल्क इतना हिंसक कैसे हो रहा है?

ऐसे सैकड़ो प्रश्न हैं जिनके उत्तर समस्त पूर्वाग्रहों के बावजूद खोजे जाने चाहिए।
याद रखिये प्रश्न और निंदा से भागना दरअसल उपनिषद के ज्ञान से विमुख होना है।

- अप्रैल 2018

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