Monday 24 September 2018

राधा-गोविंद पवित्र भोजनालय

कार से ग्वालियर से जयपुर जाते समय रास्ते में कई ढ़ाबे मिलते हैं। राजस्थान सीमा लगते ही ढाबों पर "पवित्र" और "ट्यूरिस्ट" शब्द बहुतायत से दृष्टिगोचर होते हैं, जैसे - "गोवर्धन पवित्र ट्यूरिस्ट भोजनालय एंड रेस्टोरेंट"।
"पवित्रता" पर इतना जोर और कहीं नही देखा। मेरी जिज्ञासा पर ससुर साहब ने एक रोचक किस्सा सुनाया। बात लगभग 40 साल पुरानी है। पी.एच.ई.डी. विभाग में उनके अधीनस्थ एक चतुर्थ श्रेणी कार्मिक कार्यरत था - अब्दुल हमीद खान। उनके पिता जी लतीफ़ खान (काल्पनिक नाम) ने जयपुर के प्रसिद्ध एम.आई. रोड पर मांसाहारी भोजनालय खोला था, जो कुछ खास नही चल रहा था। घाटे से परेशान होकर उन्होंने मासाहारी भोजनालय बंद करके शाकाहारी भोजनालय खोल दिया। नाम रखा - "राधा-गोविंद पवित्र भोजनालय"।
सुनते हैं उसके बाद भोजनालय चल निकला। पता नही एम.आई. रोड पर अब भी है वह भोजनालय या वुडलैंड का शोरूम खुल गया?


मई 2018

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