Monday 24 September 2018

मित्र Anurag Arya की जोरदार लेखनी -

मित्र Anurag Arya की जोरदार लेखनी -
मैं लेफ्ट हैण्ड से बोलिंग करता हूँ राइट हैण्ड से बैटिंग। मूर्ति पूजा में यकीन ना करते हुए भी आस्तिक हूँ , मैं किसी व्रत अंधविश्वास में यकीन ना करते हुए भी ईश्वर में यकीन करता हूँ। मुझे कट्टरता एक जैसी ही लगती है किसी भी मजहब की हो किसी भी सूरत में . मैं कबीर को भी रेलिश करता हूँ मार्क्स को भी विवेकाननद को भी और फ्रायड को भी। मैं गांधी -नेहरू -पटेल को भी नायक मानता हूँ भगत -बोस -आजाद को भी। मैं एक नायक को बड़ा करने के लिए दूसरे को छोटा नहीं करता। मैं असहज नहीं होता जब किसी लेखक को गुड लुकिंग और फैशनेबल देखता हूँ ,मैं तब भी असहज नहीं होता जब किसी फौजी की बेटी "पीस "की बात लिखती है सचिन मेरा फेवरेट रहा है पर इससे द्रविड़ या लक्ष्मण के लिए मेरी रेस्पेक्ट ख़त्म नहीं होती। मैं किसी लेखक का ,फैन हो सकता हूँ पर उसे पूजता नहीं मेरी समझ किसी चीज़ को तर्क से देखती है उसकी कविताओ कहानियो को पसंद करते हुए भी मैं किसी सन्दर्भ में उससे असहमति रख देता हूँ। मैं संदर्भो को देखता हूँ ,व्यक्ति पोलिटिकल फिलॉसफी को नहीं ,मेरी समझ में कोई भी फिलॉसफी कोई भी व्यक्ति कम्प्लीट नहीं है कोई भी परफेक्ट नहीं हो सकता ,होना भी नहीं चाहिए थोड़ा बहुत इम्परफेक्शन सुधार की गुंजाइश बनाये रखता है । अलग अलग समयो में अलग अलग जगह हम सही या गलत होते है मेरी फेवरेट मूवीज़ में "अर्धसत्य " भी है" कभी कभी " भी मुझे "प्यासा" भी पसंद है ,"शोले" भी मुझे few good man भी पसंद है departed भी ,मै NOTEBOOK देखकर भी रोता हूँ ,तारे जमीन पर देखकर भी और मुझे ice age भी पसंद है और FINDING NEMO का मैं मुरीद हूँ। भारत एक खोज का ऋग्वेद का " सृष्टी से पहले सत्य नहीं था,असत्य भी नहीं" मुझे पसंद है और " फायाकुन "भी। मैंने किसी गिटार का कोई मजहब नहीं देखा ,किसी किताब का नहीं ,किसी पहाड़ की कोई जात नहीं देखी किसी नदी की नहीं।
मैं रिमोट से कंट्रोल नहीं होता !
आप मुझे पसंद करे या नहीं मुआफ़ करिये मैं ऐसा ही रहूँगा !


- जून 2018

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