Monday 24 September 2018

जाति, धर्म, लिंग, राष्ट्र के बंधनों से मुक्त व्यक्ति ही मुझे प्रभावित करते हैं।

मेरा मानना है कि बड़े लोगों (रसूखदार, धनाढ्य या सेलिब्रिटी) को उनके बड़े काम से नहीं बल्कि उनके छोटे - छोटे कार्यों से परखना चाहिए। इसके उलट छोटे और सामान्य जन को उनकी छोटी-बड़ी अभिलाषाओं से नहीं बल्कि उनकी नीयत या त्याग भावना से परखना चाहिए।
इसके बावजूद इंसान इतनी विचित्र रचना है कि प्रतिपल उसका स्वभाव बदलता रहता है। उसकी इच्छाएं, नीयत, तथा कार्य करने का तरीका उसके सामाजिक व्यवहार को तय करती हैं। इसके अलावा आदमी को उसकी संगत एवं अभिरुचियों से भी पहचाना जा सकता है। उसकी मित्र मंडली में कौन लोग शामिल हैं, तथा खाली वक़्त में वह क्या करता है, यह अपनेआप में इसके व्यक्त्वि को खोलकर रख देता है। यह भी ग़ौरतलब है कि फेसबुक पेज भी किसी के व्यक्तित्व का परिचायक है। वह किन विचारों का पोषण करता है, तथा उसकी सोच कैसी है, इसकी एक झलक उसके सोशल मीडिया पेज से पता चल जाती है।
जहाँ तक मेरी बात है, मैंने अपने आसपास के इंसानों को परखने के लिए कुछ कसौटियां तय कर रखी हैं -
1. वह मुझसे कैसा व्यवहार करता है, ये जरूरी नहीं, वह मेरे सामने अन्य लोगों, विशेषकर कनिष्ठ लोगों से कैसा व्यवहार करता है?
2. उसकी अभिरुचि क्या है? धन अर्जन को ही अपने जीवन का अभीष्ट समझने वाले मुझे प्रभावित नहीं करते।
3. क्या वह अपनी जाति/धर्म से ऊपर उठकर सोच पाता है? मुझे वे सवर्ण पसंद नहीं जो दलितों को हीन मानें और सिर्फ अपने ही हित को साधें। साथ ही मुझे हर बात में अपने को दलित और बेचारा घोषित करने वाले भी पसंद नहीं।
4. मुझे वे हिन्दू भी प्रभावित नहीं करते जो किसी अन्य धर्मावलंबी से नफरत करते हों। अन्य धर्मों के अनुयायियों पर भी यही बात लागू है।
कहने का मतलब ये है कि आप परिपक्व तभी कहलायेंगे, जब जाति, धर्म, लिंग, राष्ट्र से ऊपर उठकर मनुष्य बनेंगे। इन बंधनों से मुक्त व्यक्ति ही मुझे प्रभावित करते हैं।

सि‍तंबर 2018

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