Sunday, 6 July 2014

सांई भक्‍ति‍

शंकराचार्य द्वारा सांई भक्‍ति‍ पर उठाये गए प्रश्‍नों में लोगों की पृथक राय हो सकती है। परंतु मंदि‍रों में देव प्रति‍माओं के बीच या मंदि‍र प्रांगण में सांई बाबा को बैठाने का कार्य कई पुजारी सहर्ष करते रहे हैं। नि‍स्‍संदेह ये वही पुजारी हैं जो मंदि‍र को एक दि‍व्‍य स्‍थल के बजाय नि‍ज संपत्‍ति‍ एवं आय का अक्षय स्रोत मानकर चलते हैं। पुजारी जी ने जैसे ही देखा कि‍ सांई बाबा की दुकान चल नि‍कली है, वैसे ही स्‍वयं अपने मंदि‍र में लेकर बैठ गए सांई बाबा को ............ ...................................................................... ................. ........... ...... ......................जैसे कुछ कि‍राने की दुकान पे बोर्ड टंगा होता है कि‍ 'यहां मोबाइल रि‍चार्ज होता है'........................ उसी तर्ज पर पारंपरि‍क भगवान के साथ-साथ सांई बाबा, शनि‍ महाराज....... इत्‍यादि‍ भी स्‍थापि‍त कर दि‍ए जाते हैं। कहीं ग्राहक भाग न जाये अथवा बगल की दुकान में न चला जाये........................ और संकट यह है कि‍ बगल के शोरूम में पालकी, भंडारा, आरती, रेवड़ी, सर्व धर्म पूजोपासना, अगरबत्‍ती, लोवान, भगवा झंडा, हरा झंडा सब मौजूद हैं।..................... अत: सांई भक्‍ति‍ के वि‍रोध से ज्‍यादा जरूरी है धार्मिक व्‍यावसायि‍कता पर रोक । अमीर मंदि‍रों/ मस्‍जि‍दों/ गुरुद्वारों/ चर्च/ जि‍नालय/ मठ/ आश्रम से 30% आयकर क्‍यों न बसूला जाये ?

No comments:

Post a Comment