शायद
महात्मा गांधी को गाली देना इस देश में सबसे आसान है। ताजा उदाहरण अरुंधती
रॉय का है। उनके कई बयानों का मैं विरोधी एवं प्रशंसक, दोनों रहा हूं।
परंतु हमेशा सनसनीखेज बयान देना ही आपके प्रगतिशील हाेने का प्रमाण नहीं
होता। ............. गांधी जी को गाली तो संघ वाले भी देते
हैं.............. क्योंकि गांधी को गाली देना सबसे आसान है। गांधी को
गाली देने से किसी की भावनायें आहत नहीं होती और पिटने का
भी डर नहीं होता। क्या ऐसी गालियां अंबेडकर, चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह
या नमो को दी जा सकती हैं। गांधी तो इस मामले में भी कम रह गए कि उनके
अपमान पर न कोई हिंदू वादी संगठन कुछ बोलता है, न वामपंथी, न प्रगतिशील, न
गुजराती और तो और किसी अखिल भारतीय वैश्य - गहोई समाज की भावनायें भी
आहत नहीं होती है।................ सो बिना संकोच गाली देते रहें। आप
जितनी गाली उस महात्मा को देंगे, वो आपको उतना ही अधिक बेचैन करेगा।
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