Tuesday, 16 June 2015

जीवन

अब तक के अपने जीवन से कोई शि‍कायत नहीं है, पर कई बातों को न कर पाने का मलाल अवश्‍य है। बचपन में शायद ही ऐसा कोई खेल हो जो न खेला हो। परि‍पूर्ण बचपन जि‍या है इसलि‍ए कोई मलाल नहीं है बस स्‍पोर्टस कॉलेज लखनऊ में क्रि‍केटर के रूप में दाखि‍ला लेने का ख्‍वाब अधूरा रह गया। स्‍कूली जीवन में साथी छात्र/छात्राओं के साथ टूर पर न जा पाना भी खलता है ......... .... ........ .................
जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही इलाहाबाद चला गया। अनुभवों की प्रयोगशाला इलाहाबाद ने बहुत कुछ सि‍खाया। पर कई बातें हैं जो नहीं कर पाया। वि‍धि‍वत रूप से हॉस्‍टल जीवन न जी पाने का मलाल है। कई अवसर मि‍लने के बावजूद प्रेमप्रसंग न हो पाने का मलाल है। सुंदर ल्रड़कि‍यां आकर्षित तो करती थीं, पर उनसे मि‍त्रता बढ़ाने से डरता था। शायद स्‍मॉल टाउन मानसि‍कता थी और सरस्‍वती शि‍शु मंदि‍र में घोंट कर पि‍लायी गयी घुट्टी का असर था कि‍ वि‍परीत लिंगी के प्रति‍ सहज भाव नहीं रख पाया। सच में इस चक्‍कर में कई अच्‍छी लड़कि‍यों को नि‍राश और नाराज़ कि‍या। ..........................
छात्र जीवन में राजनैति‍क गति‍वि‍धि‍/ धरना-प्रदर्शन से भले ही जुड़ा रहा पर जेल की यात्रा नहीं हो पायी। .............. ऐसे कई अनुभव हैं जो होने से रह गये। अब यही कह सकता हूं कि‍ व्‍यक्‍ति‍ को आयु वि‍शेष में सभी अनुभवों को लेते रहना चाहि‍ए ताकि‍ आगे चलकर मलाल न हो........................;

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