आज के बच्चे कठपुतली या puppet को शायद ही जानते हैं। हमारे बचपन से ही
कठपुतली का नाच दिखाने वाले कम होना शुरू हो गए थे। कभीकभार राजस्थान का
कोई कलाकार भटकता हुआ हमारे छोटे से जनपद ललितपुर में आ जाता था। एकाध बार
प्रदर्शनी में कठपुतली नाच देखा था। बालसुलभ कौतूहल होता था कि ये आखिर नाच
कैसे रही हैं। थोड़ा बड़े होने के बाद समझ आया कि ये कठपुतलियां अदृश्य से
धागे से बंधी रहती है और कोई ऊपर से इन्हें नचाता रहता है।
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अब जबकि ये कठपुतलियां कहीं नज़र नहीं आती, तो जरा फिर से देखिये। आपको लगभग हर घर में एक या अधिक कठपुतलियां मिल जायेगी। और कमाल की बात ये कि वो भी अदृश्य से धागे से बंधी है .......
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अब जबकि ये कठपुतलियां कहीं नज़र नहीं आती, तो जरा फिर से देखिये। आपको लगभग हर घर में एक या अधिक कठपुतलियां मिल जायेगी। और कमाल की बात ये कि वो भी अदृश्य से धागे से बंधी है .......
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