हम सभी उदास है जगजीत सिंह के निधन पर.............मुझे अब भी याद है कि 1994 में इलाहाबाद स्थित प्रयाग संगीत समारोह में जगजीत सिंह नाइट का आयोजन था, मैं भी अपने मित्रों के साथ इस अवसर का लाभ उठाना चाहता था। प्रयाग संगीत समिति का ऑडिटोरियम लगभग 1000 श्रोताओं की भीड़ से कार्यक्रम शुरू होने के 02 घंटे पहले ही भर चुका था। आयोजकों ने दरवाजे अंदर से बंद कर लिए थे। मुझ समेत 5000 विश्वविद्यालय छात्रों की भीड़ ऑडीटोरियम के बाहर हंगामा कर रही थी। पुलिस बल प्रयोग की नौबत आ गयी थी। हद तो ये हुई कि जगजीत सिंह भी ऑडीटोरियम में प्रवेश नहीं कर पाए क्योंकि संगीत समिति में प्रवेश का एक ही द्वार था। कार्यक्रम हो ही नहीं सका। पर यह इस बात का प्रमाण है कि आज के इस दौर में सिर्फ जगजीत सिंह ही ऐसे थे जिनकी संगीत सरिता सभी आयुवर्ग को अपनी स्वरलहरियों में बहा ले जाती है...यहां तक कि इंस्टैट नूडल्स वाली नवयुवा पीढ़ी को भी।
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