एक दिन गुस्से से भरा मुल्ला नसरुद्दीन अपने पड़ोसी के घर पहुंचा और बोला - "तुम्हारे सांड ने मेरी गाय पर हमला कर उसे घायल कर दिया दिया है, और मैं मुआवज़ा पाने का हक़दार हूँ।"
पड़ोसी को भी गुस्सा आ गया और वह बोला - "मुझसे मुआवज़ा मांगने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? जानवर की करतूत के लिए किसी आदमी को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है?"
नसरुद्दीन बोले - "जी हाँ, आप बिल्कुल सही फरमा रहे हैं। लेकिन शायद मुझसे भी कहने में कुछ गल्ती हो गई है। मैं फिर से बताता हूँ। दरअसल, मेरे सांड ने आपकी गाय को घायल कर दिया है। लेकिन कोई बात नहीं, अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि किसकी गाय थी और किसका सांड। "
{सुनील हांडा की किताब स्टोरीज़ फ्रॉम हियर एंड देयर से साभार अनुवादित}
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